वो जो पागलों सी मेरी चाह थी
अब किसी और की बाँहों में सोयी होगी
और मेरे जैसे वाला सुकून न मिलने पर
होठों से हसी और आँखों से रोयी होगी
वो जो पागलों सी मेरी चाह थी
अब किसी और की बाँहों में सोयी होगी
और मेरे जैसे वाला सुकून न मिलने पर
होठों से हसी और आँखों से रोयी होगी